Wednesday, 22 January 2014

कविता मेरी सुन लेना....

कविता मेरी सुन लेना....

मेरे जीवन कि जब वो शाम आये,
जिसकी सुबह न होनी हो,
उस रात मेरे सपनो में तुम,
आकर कविता मेरी सुन लेना|
मैं सारी रात गाऊंगा
तुम सारी रात सुन लेना,
अपने गीतों और छंदों में,
बस तुमको ही सराहूंगा,
तुम बस मुझको सुन लेना|
मुझ पर मृत्यु का पहरा होगा,
यमराज मेरी साँसों की,
उलटी गिनती करता होगा,
मैं फिर भी निर्भय  होकर
गाऊंगा,
तुम बस मुझको सुन लेना|
तरन्नुम में कहोगी तरन्नुम में,
तुम जैसे कहोगी गाऊंगा,
तुम बस मुझको सुन लेना|
अंतिम घडी जब आये तो
तुम ये वादा करके चली जाना,
पुनर्जन्म में भी चाहे
तुम संगिनी मेरी मत बनना,
बस ऐसे ही आ आकर तुम
कविता मेरी सुन लेना
कविता मेरी सुन लेना|

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