Sunday, 18 May 2014

यदि समय थकता.......

काश समय को गति का,
लोभ न होता|
वह भी थकता,
रुकता|
मेरे पास अब भी '
मेरा बचपन होता,
माँ की गोद होती,
मैं भी लोरी सुनता,
अपने सपनों तक की दूरी,
घुटनों पर ही,
मैं कर लेता पूरी|
यदि समय थकता, रुकता|

काश समय को,
अनथक चलने का,
शौक न होता|
कोई पड़ाव उसे भी भाता|
तब यादें इतना न सताती|
अतीत इतना कुरूप,
न लगता|
यदि समय थकता, रुकता|

काश अविस्मरणीय क्षणों पर,
समय शाषन न करता,
सुखकाल कभी भूत न बनता,
जीवन पर मृत्यु का ,
अधिकार न होता,
तुम भी इतना दूर न जाती|
जीवन से मैं भी शिकायत न करता|

यदि समय थकता, रुकता|

       -गौरव शर्मा

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