सोचना कि क्या हुआ
इन गुलाबों पर ये ओस की बूंदे युगों से लटकी हैं
मेरे आँगन में चिड़ियाएँ खामोश दाना चुगती हैं
सिसकती हवाओं से रोते आसमान से पूछना कि क्या हुआ?
सोते सोते चोंक कर उठ जाओ तो सोचना कि क्या हुआ?
आँखें रात रात भर सपनो का बाज़ार लगाती हैं
आंसुओं की बूंदे हर मुस्कराहट का साथ निभाती हैं ....
हँसते हुए कभी तुम्हारे भी आंसू आ जाएँ तो पूछना कि क्या हुआ ...?
किसी चहरे में मेरी शक्ल नज़र आये तो सोचना कि क्या हुआ?
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Thanks for your invaluable perception.