Showing posts with label हिन्दी कविताएँ. Show all posts
Showing posts with label हिन्दी कविताएँ. Show all posts

Tuesday, 20 May 2014


 एक सपना ......


ऐ सपने सच होना होगा तुझको,
आंसुओं से सींचा है तुझको,
नौ मॉस नहीं नौ बरस नहीं,
युगों युगों पाला है तुझको,
पूजा परमात्मा सी की है,
मेरा पूर्ण समर्पण तुझको,
मन के गर्भ में सोया है तू,
जाग रहा हूँ मै न जाने कबसे,
आँखों में बसाये तुझको|
सावन की गीली आग लकड़ियों सा,
शरद की सूखी पत्तियों सा,
मर रहा हूँ जीने को तुझको,
पिघला विषाद पी रहा हूँ,
आकृति में पा लूँ तुझको,
सपने सच होना होगा तुझको|
 एक सपना ........

समय के अधरों से साँझ मदिरा सी बूँद बूँद टपकती रही ...
मैं सिंचता रहा .....
चाँद तुम्हारी यादें चांदनी मे भिगो भिगो कर
लुटाता रहा ...मैं बीनता रहा .....
उंगली भर मोमबत्ती ,मिटटी की मुंडेर पर ...
यथार्थ की हवाओं से लड़ती रही ...
मैं बचाता रहा .....
कानो के बक्सों में बंद तुम्हारी चूड़ियों की खनखनाहट आती रही ...
.मैं सुनता रहा .....
तुम्हारी खुशबू पी रही थी सांसें ...
एक दीर्ध श्वास छोड़ा मैंने .... .
चूल्हे की लकड़ी को छूकर अपना सपना तोडा मैंने .......

Thursday, 15 May 2014

क्षण .....

कुछ क्षण
         जो बार गूंजते हैं,
                नहीं मरते,
क्योंकि  छोड़ पाये हैं,
       छाप, एक याद,
               नहीं मिटते |

वो क्षण जब,
         मुस्काती आँखें ही बोलती हों,
                  चमकती सी,
        कह जाएँ,
              इतना कुछ कि,
                        नींद भी जागी रहे,
                                    उसे सुनने को|
और सुबह भी खटखटाये,
                 किवाड़ रात के,
                               कई बार,
कि सुन ले कुछ तो|

एक शान वो भी जब,
         भीगी आँखें ही बोली हों,
                 कुछ अस्पष्ट सा कहें,
भारी हुयी पलकों से,
              पूछा भी बहुत,
                       अचानक उठकर,
क्या कहा मुझसे?
        देखा था?
                गुहार थी?
                        या शिकायत की थी?

एक क्षण, वो था जब,
         मैंने एक जीवन-प्रश्न,
               किया था तुमसे,
दाँतो में दबाकर, जबाब दिया था तुमने,
             बुझे चेहरे से जब,
                उठी थी आँखें ऊपर,
                        और न समझकर भी,
                               मैं सब कुछ समझ,
                                 मैंने को तत्पर|

और वो भी थे क्षण
          जब आशाएं जगाई तुमने,
                और तोड़ दी,
न चाहकर भी
         असहाय होने का ,
संकेत देती,
         किन्तु मेरे लिए
जीवन वाक्य बन गए हैं,
          तुम्हारे द्वारा  कहे कुछ शब्द,
मेरे हर क्षण के स्वामी हैं,
हाँ, तुम परिपक्व हो,
तभी मैं, स्तब्ध|

          गौरव शर्मा





Wednesday, 14 May 2014

स्वपन जागेंगे....

स्वपन जागेंगे....
आँखें जब सोने को होंगी,
स्वपन जागेंगे |
जीवन के सुरभित सौभाग्य,
 यत्न मांगेंगे |
कितनी ही इच्छाएं अंतर्मन में,
छटपटाती रहती हैं,
कितनी ही आँसु स्मृतियों में,
पछताते रहते हैं|
सब अपने लिए थोड़ा थोड़ा,
मरहम मांगेंगे,
आँखें जब सोने को होंगी,
स्वपन जागेंगे |
कई प्रश्न समय के,
अनबूझे ही रहते हैं,
क्षण भी बात अपनी,
बीतने पर ही कहते  हैं|
भविष्य के कण नए नए सम्बोधन मांगेंगे,
आँखें जब.......|
कितनी घुटी हुयी
भावनाओं को पाला है,
गिरते हुए आंसूं को,
पलकों में संभाला है|
ये भी अपने लिए नया,
एक अर्थ चाहेंगे|
आँखें जब.............|
कितनी ही चेहरे
अपनत्व की आस जगाते हैं,
स्नेह सिक्त दृष्टि से,
प्रेम की प्यास बुझाते हैं|
एकांकीपन के सहमे एहसास,
झटपट भागेंगे,
आँखें जब ...........|
बहुत से कथनों के ,
गुणात्मक अर्थ होते हैं,
भोजे न जाएँ ऐसे वाक्य,
 व्यर्थ होते हैं|
भटके शब्द अपने लिए,
आशय मांगेंगे,
आँखें जब सोने को होंगी ,
स्वपन जगेंगे,
जीवन के सुरभित सौभाग्य,
यत्ने मांगेंगे|
भवैश्य बता रहा है,
वर्तमान झूठा है|
खुशियां मत ढूँढो ,तुमसे,
भाग्य  रूठा है|
फिर भी उनके साथ नया एक,
जीवन मांगेंगे,
आँखें जब सोने को होंगी,
स्वपन जागेंगे|

Monday, 12 May 2014

क्षण

क्षण .......


हर पल के लिए,
जीवन की किताब पर,
छूटा होता है एक हाशिया...

मिट जाते हैं कभी,
और कभी अमिट छाप लिए,
वे पल छोड़ जाते हैं कई नाम,
कई टिप्पणियाँ |

भविष्य को बहाकर लाने वाले,
पृष्ठों से जब धुंधलाते हैं,
अतीत को, तब भी,
स्पष्ट सा दिखता है कुछ,
कुछ क्षण,
कुछ नामों की अर्थी लिए,
बन जाते हैं याद,
भविष्य को ढकती परछाईयाँ|

उस हाशिये पर,
कुछ हलके नाम भी हैं,
जो समय में बहते आये,
पर न ठहरे,
जीवन की किताब पर,
छोड़ न सके कोई निशाँ|
फिर भी दीखते  हैं,
कहते हैं,
टूटे सपने जब
आंसुओं में बहते हैं ,
गूंजती हैं तब,
उन क्षणों से जुडी कहानियाँ|
अब भी ये पल,
वर्तमान के ,
लिए हुए हाशिये,
बिना किसी नाम के,
टिप्पणियों से सजे हुए,
इतराते हैं यूँ ही|
पर समांतर पंक्तियों में है,
ज़िक्र पुराने नामों का,
हर क्षण फुसफुसाता है,
नए नाम भी यही लाएंगे,
सोचता हूँ क्या खेल रचा रहे हैं?
आने वाला सभी  पल क्यों,
अतीत की है कठपुतलियां?
      ---गौरव शर्मा

Saturday, 10 May 2014

WHY I LOVE AIR FORCE?



Why I Love Air Force

Sky asks the cloud, ‘Dear, what you love the most?
‘Is it the chromatic rainbow, or the bird I host?’
‘No’ replied the cloud ‘beauty is noble and gracious,
I like my pals to be a vagabond, arrogant and dexterous.’
Fighter planes are the ones who match my thunder’
We care, revive and secure the mankind under,
I shower rains helping the soil, getting pregnant,
They drop bombs to wipe off the assailants.’

Ask teenagers, what they want out of their lives and you can vouch for answers to be-Status and wealth, with reluctant additions such as integrity, perseverance, pride and dignity and enthusiastic utterance of ‘thrill’ and ‘adventure’ as topping. However, when they look up to their guardians for guiding them through to get all these, seldom are they told to join the Air Force.
A simple and realistic way of seeing all aspirations coming true is to serve the Air Force with a bonanza carrying distinction of serving the motherland that would, ultimately provides the greatest satisfaction. The best thing one can do is to defend his country.
We can buy the most expensive clothes with the riches, but believe me, heaps of diamonds and suitcases filled with currency notes will be insufficient to get the feel of pride and dignity the uniform of a soldier facilitates.
It just asks you to cultivate the readiness to sacrifice and to consider the country before yourself.
Michael P. Anderson has said “If you want something that’s going to provide you with a lot of challenges and a variety of different things to do, then you really can’t beat a place like the Air Force. I don’t mean this to sound like a recruiting pitch, but it’s been a lot of fun”
Fighter planes are the most sophisticated man-driven automobiles. One can be a professional pilot without joining the Air Force but won’t you be a mere ‘driver’ carrying passengers here and there? And to sit in that cockpit will become a delusive and distant dream for ever.
The training and courses, one has to go through to become a pilot, normally cost a lot. But in Air Force, you don’t have to spend money for it; just a burning desire would suffice.
I haven’t seen a mortal, not applauding a somersaulting, squirming, maneuvering and formation displaying jet. The roaring and threatening device even compel you to brave the glares of the sun. I always fancy the imagination of seeing myself occupying the cockpit of a hunter and playing hide and seek with the clouds in the sky and the amazed spectators applauding me.
I don’t want to see my compatriots scarifying dreams or to settle for less, but if someone’s circumstances force him to earn after school, I see Air Force as the best job option. No organization gives such handsome remunerations to raw intermediates. The most favorable part is the working hours- you can study further and go for commissioning after improving your credentials.
Metamorphosis from a raw recruit to a prepared, confident and masculine Airman in a real sense might not be easy but it is less difficult than a civilian normally goes through to become equally deserving.
If not me, somebody else will come forth; after all, our country is not short of people. Air Force doesn’t really need us. We need to find out where we fit in it.
It offers variety of jobs-both in technical and non-technical grades. We can be a fighter pilot, which is the most respected trade among all armed forces or a paratrooper or a doctor in the Air Force and even clerks can find a life in it.
The Air Force offers lifetime medical facilities, Job security, travel opportunities, Pension and the most glamorous side is the Rank that remains with us for the rest of our lives. The Chevrons and the Strips are great intoxicants. They give you distinct identity, dignity and pride.
So if you have the courage and desire to test yourself against the spur of difficulty, if you want to brave the storm, if you want the vast sky to bow in front of you and allow you to wander across its expanse, the Air Force is the place for you.
The Air Force invites you to have a spectacular life-and Hey! You always have a choice to quit.

Tuesday, 29 April 2014

यथार्थ और सपना

 यथार्थ और सपना

समय के अधरों से साँझ मदिरा सी बूँद बूँद टपकती रही ...
मैं सिंचता रहा .....
चाँद तुम्हारी यादें चांदनी मे भिगो भिगो कर
लुटाता रहा ...मैं बीनता रहा .....
उंगली भर मोमबत्ती ,मिटटी की मुंडेर पर ...
यथार्थ की हवाओं से लड़ती रही ...
मैं बचाता रहा .....
कानो के बक्सों में बंद तुम्हारी चूड़ियों की खनखनाहट आती रही ...
.मैं सुनता रहा .....
तुम्हारी खुशबू पी रही थी सांसें ...
एक दीर्ध श्वास छोड़ा मैंने .... .
चूल्हे की लकड़ी को छूकर अपना सपना तोडा मैंने .......

Friday, 14 February 2014

प्यार का त्यौहार


प्यार का त्यौहार



मेरे तुम्हारे प्यार का फिर से त्यौहार आया है,
कितने सारे वादों और कसमों की यादें लाया है|
चलो न आज उस ही तरह खिड़की पर खड़े हो जाएँ,
हवा से उड़कर लटें तुम्हारी मेरे चेहरे पर बिछ जाएँ|
बादलों से करो गुज़ारिश कुछ देर को बरस जाएँ,
फिर हथेलियां जोड़ ले हम, बूँदें उनमे भर जाएँ|
तुम मुझे हिदायत देना, पानी कहीं न रिस जाए,
मैं तुमसे और सट जाउंगा,हथेलियां ताकि कस जाएँ|
ज्यादा पानी ज्यादा प्यार, विश्वास तुम्हारा होता था,
यही हमारा प्यार को मापने का पैमाना होता था|
चलो ना फिर से कुछ क्षण अतीत से चुरा लें हम,
एक दूसरे की आँखों में डूब थड़ा सा मुस्कुरा ले हम|

Wednesday, 22 January 2014

कविता मेरी सुन लेना....

कविता मेरी सुन लेना....

मेरे जीवन कि जब वो शाम आये,
जिसकी सुबह न होनी हो,
उस रात मेरे सपनो में तुम,
आकर कविता मेरी सुन लेना|
मैं सारी रात गाऊंगा
तुम सारी रात सुन लेना,
अपने गीतों और छंदों में,
बस तुमको ही सराहूंगा,
तुम बस मुझको सुन लेना|
मुझ पर मृत्यु का पहरा होगा,
यमराज मेरी साँसों की,
उलटी गिनती करता होगा,
मैं फिर भी निर्भय  होकर
गाऊंगा,
तुम बस मुझको सुन लेना|
तरन्नुम में कहोगी तरन्नुम में,
तुम जैसे कहोगी गाऊंगा,
तुम बस मुझको सुन लेना|
अंतिम घडी जब आये तो
तुम ये वादा करके चली जाना,
पुनर्जन्म में भी चाहे
तुम संगिनी मेरी मत बनना,
बस ऐसे ही आ आकर तुम
कविता मेरी सुन लेना
कविता मेरी सुन लेना|

ONE TOUGH DAY THAT BROKE THE DREAM OF A BILLION PEOPLE

  ONE TOUGH DAY THAT BROKE THE DREAM OF A BILLION PEOPLE   Well Played, team India. We are proud of the way you played in this tournament. U...