Monday, 12 May 2014

क्षण

क्षण .......


हर पल के लिए,
जीवन की किताब पर,
छूटा होता है एक हाशिया...

मिट जाते हैं कभी,
और कभी अमिट छाप लिए,
वे पल छोड़ जाते हैं कई नाम,
कई टिप्पणियाँ |

भविष्य को बहाकर लाने वाले,
पृष्ठों से जब धुंधलाते हैं,
अतीत को, तब भी,
स्पष्ट सा दिखता है कुछ,
कुछ क्षण,
कुछ नामों की अर्थी लिए,
बन जाते हैं याद,
भविष्य को ढकती परछाईयाँ|

उस हाशिये पर,
कुछ हलके नाम भी हैं,
जो समय में बहते आये,
पर न ठहरे,
जीवन की किताब पर,
छोड़ न सके कोई निशाँ|
फिर भी दीखते  हैं,
कहते हैं,
टूटे सपने जब
आंसुओं में बहते हैं ,
गूंजती हैं तब,
उन क्षणों से जुडी कहानियाँ|
अब भी ये पल,
वर्तमान के ,
लिए हुए हाशिये,
बिना किसी नाम के,
टिप्पणियों से सजे हुए,
इतराते हैं यूँ ही|
पर समांतर पंक्तियों में है,
ज़िक्र पुराने नामों का,
हर क्षण फुसफुसाता है,
नए नाम भी यही लाएंगे,
सोचता हूँ क्या खेल रचा रहे हैं?
आने वाला सभी  पल क्यों,
अतीत की है कठपुतलियां?
      ---गौरव शर्मा

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