प्यार का त्यौहार
मेरे तुम्हारे प्यार का फिर से त्यौहार आया है,
कितने सारे वादों और कसमों की यादें लाया है|
चलो न आज उस ही तरह खिड़की पर खड़े हो जाएँ,
हवा से उड़कर लटें तुम्हारी मेरे चेहरे पर बिछ जाएँ|
बादलों से करो गुज़ारिश कुछ देर को बरस जाएँ,
फिर हथेलियां जोड़ ले हम, बूँदें उनमे भर जाएँ|
तुम मुझे हिदायत देना, पानी कहीं न रिस जाए,
मैं तुमसे और सट जाउंगा,हथेलियां ताकि कस जाएँ|
ज्यादा पानी ज्यादा प्यार, विश्वास तुम्हारा होता था,
यही हमारा प्यार को मापने का पैमाना होता था|
चलो ना फिर से कुछ क्षण अतीत से चुरा लें हम,
एक दूसरे की आँखों में डूब थड़ा सा मुस्कुरा ले हम|
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Thanks for your invaluable perception.