क्षण .....
कुछ क्षण
जो बार गूंजते हैं,
नहीं मरते,
क्योंकि छोड़ पाये हैं,
छाप, एक याद,
नहीं मिटते |
वो क्षण जब,
मुस्काती आँखें ही बोलती हों,
चमकती सी,
कह जाएँ,
इतना कुछ कि,
नींद भी जागी रहे,
उसे सुनने को|
और सुबह भी खटखटाये,
किवाड़ रात के,
कई बार,
कि सुन ले कुछ तो|
एक शान वो भी जब,
भीगी आँखें ही बोली हों,
कुछ अस्पष्ट सा कहें,
भारी हुयी पलकों से,
पूछा भी बहुत,
अचानक उठकर,
क्या कहा मुझसे?
देखा था?
गुहार थी?
या शिकायत की थी?
एक क्षण, वो था जब,
मैंने एक जीवन-प्रश्न,
किया था तुमसे,
दाँतो में दबाकर, जबाब दिया था तुमने,
बुझे चेहरे से जब,
उठी थी आँखें ऊपर,
और न समझकर भी,
मैं सब कुछ समझ,
मैंने को तत्पर|
और वो भी थे क्षण
जब आशाएं जगाई तुमने,
और तोड़ दी,
न चाहकर भी
असहाय होने का ,
संकेत देती,
किन्तु मेरे लिए
जीवन वाक्य बन गए हैं,
तुम्हारे द्वारा कहे कुछ शब्द,
मेरे हर क्षण के स्वामी हैं,
हाँ, तुम परिपक्व हो,
तभी मैं, स्तब्ध|
गौरव शर्मा
कुछ क्षण
जो बार गूंजते हैं,
नहीं मरते,
क्योंकि छोड़ पाये हैं,
छाप, एक याद,
नहीं मिटते |
वो क्षण जब,
मुस्काती आँखें ही बोलती हों,
चमकती सी,
कह जाएँ,
इतना कुछ कि,
नींद भी जागी रहे,
उसे सुनने को|
और सुबह भी खटखटाये,
किवाड़ रात के,
कई बार,
कि सुन ले कुछ तो|
एक शान वो भी जब,
भीगी आँखें ही बोली हों,
कुछ अस्पष्ट सा कहें,
भारी हुयी पलकों से,
पूछा भी बहुत,
अचानक उठकर,
क्या कहा मुझसे?
देखा था?
गुहार थी?
या शिकायत की थी?
एक क्षण, वो था जब,
मैंने एक जीवन-प्रश्न,
किया था तुमसे,
दाँतो में दबाकर, जबाब दिया था तुमने,
बुझे चेहरे से जब,
उठी थी आँखें ऊपर,
और न समझकर भी,
मैं सब कुछ समझ,
मैंने को तत्पर|
और वो भी थे क्षण
जब आशाएं जगाई तुमने,
और तोड़ दी,
न चाहकर भी
असहाय होने का ,
संकेत देती,
किन्तु मेरे लिए
जीवन वाक्य बन गए हैं,
तुम्हारे द्वारा कहे कुछ शब्द,
मेरे हर क्षण के स्वामी हैं,
हाँ, तुम परिपक्व हो,
तभी मैं, स्तब्ध|
गौरव शर्मा
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Thanks for your invaluable perception.