Tuesday, 20 May 2014

 अंतर्द्वंद.....

जीवन के अंधेरों में इतनी रोशनी नहीं थी, कि कुछ लिखूं,
खुली आँखें झट से मूँद ली चांदनी समेटने के लिए....
ये कभी न मरने वाली भावनाओं के सच की कहानी है,
मुझसे रात की स्याही में तैरते सुनहरे तारे ने कहा था ...
मैंने सपनो को निचोड़ निचोड़ कर संवेदनाएं घोली हैं,
आंसुओं में भीगा था हर शब्द लेखनी से जब बहा था.....

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