दिल खफा -खफा सा है
खफा-खफा सा है
बुझा-बुझा सा है
ख्यालों की पेनि्सल से
ख्वाबों की तस्वीरें बनाता है
कुछ देर निहारता है
फिर मिटा देता है
हौसले का कागज
रगड़ रगड़ कर
फट जाता है
पिजरे में फसे चूहे सा बेचैन
रास्ता ढूढता है
अब थककर बैठ गया है
कुन्डी में अटकी जिदगी
कुतरता है
सहमा सहमा है
दिल खफा -खफा सा है।
असीम आभार ऋषभ
ReplyDeleteआमंत्रण के लिए धन्यवाद