Wednesday, 23 July 2014




2 comments:

  1. वो शब्द जानते हैं ,
    तुम्हारे लिए रचे गए थे ,
    निश्छल थे , निष्पाप थे ,
    पर मेरे भाग्य से जुड़े हुए थे|
    वो भी तो छले गए थे |
    कुछ इस तरह पढ़ना,
    हर शब्द को मोक्ष मिल जाये ,
    कवि को मिले न मिले ,
    कविता को मुक्ति मिल जाये |
    बहुत सुन्दर शब्द और उतनी ही सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. बहुत आभार योगेश सारस्वत साहब

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Thanks for your invaluable perception.

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