Thursday, 24 July 2014

"चंदा फिर वही ग़ज़ल गाना न तू"

 
चंदा फिर वही ग़ज़ल गाना न तू,
पलकों पे फिर सपने बसाना न तू |

तारों की लौ में ज़िन्दगी पिघल जाएगी,
रोते ही रहेंगे, हमें नींद भी सताएगी,
सो गए भूखे अरमान, जगाना न तू,
चंदा फिर वही ग़ज़ल गाना न तू |


भावनाओं का तर्पण कर आये हम,
यादों की चिता सजा आये हम |
फिर उस नाम के चर्चे सुनना न तू,
चंदा फिर वही ग़ज़ल गाना न तू |

मर-मर के और कब तक जीते रहें,
साँसों के ताने कब तक पीते रहें |
उम्र का कोई आशीष लाना न तू,
चंदा फिर वही ग़ज़ल गाना न तू |

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