Saturday, 26 July 2014

हँसी के बहाने

तुम कितना हँसती हो,
जब भी आती हो,
हँसी बिखेर जाती हो,
इतनी हँसी
कहाँ से लाती हो ?

आँखों की बुझी चमक,
झिलमिलाने लगती है,
हाथों की बेजान लटक,
कसमसाने लगती है,
चौक पर खेलते बचपन,
के साथ, रस्सा कूदती हो,
तब तुम्हारी
खिलखिलाहट,गूंजती है,
सुनते ही उमंग मेरी,
मुस्तैदी से, बिखरी उदासी,
समेटने लगती है |

तुम्हारी हँसी की,
इस हवा को,
कितनी आदत है ,
मैं सुनु  न भी,
पर सूंघ लेता हूँ |
और तुम्हारे पहुँचने से पहले,
दरवाज़ा खोल  देता हूँ |

नुक्कड़ से मुड़ते ही,
हमारी नज़रें मिलते ही,
तुम एक चुम्बन,
उछाल देती हो,
मैं गली की,
पहरेदार नज़रों को,
नापने लगता हूँ,
पर तुम बेफिक्र हँसती रहती हो |

अंदर आकर, मेरी आँखों के,
ढोंगी गुस्से का मज़ाक उड़ाती हो,
'मत करो कोशिश-
नाराज़ नहीं हो पाओगे'
कहकर ताली मारकर,
ठहाका लगाकर,
 फिर हँस पड़ती हो |

फिर, लम्बे क़दमों से,
चलकर मेरे पास आती हो,
दिन में एक बार, संजीदा ,
होने की रस्म निभाती हो,
मेरी आँखों में खुद को बसाकर,
अपनी आँखों में मुझको बसाकर,
कहती हो-
'जानते हो, मैं क्यों हँसती हूँ?
क्यूंकि, मेरी हँसी ही तो,
तुम्हारी ऑक्सीजन है,
मेरे साथ तुम भी,
हंस लेते हो,
इसी बहाने, थोड़ा ही सही,
जी तो लेते हो'
वो फिर हँस पड़ती है,
और गूंजती हँसी के साथ
 ओझल हो जाती है

काश जीवन में ऐसी हँसी,
बिखेरने वाले होते,
मुस्कुराने के बहाने
न ढूढ़ने पड़ते |



No comments:

Post a Comment

Thanks for your invaluable perception.

ONE TOUGH DAY THAT BROKE THE DREAM OF A BILLION PEOPLE

  ONE TOUGH DAY THAT BROKE THE DREAM OF A BILLION PEOPLE   Well Played, team India. We are proud of the way you played in this tournament. U...